मम्मी-पापा के लिये मैं “नन्हीं” हूँ, नानी के लिये “नन्हीं सी जान”, डॉक्टर अंकल के लिये “चिन्नम्मा” हूँ और स्कूल की मैम के लिये प्राञ्जल मण्डावी । यूँ तो हर कोई मुझे बच्ची ही मानता है लेकिन मैं इतनी भी बच्ची नहीं हूँ कि दुनियादारी बिल्कुल भी ना समझ सकूँ ।
“पॉवर”
से मैंने सीखा इलेक्ट्रिक सप्लाई । फिर धीरे-धीरे पता लगा कि पॉवर मीन्स
गुण्डागर्दी । जो पॉवर में होता है उसे कुछ भी करने का राइट होता है, मतलब
जो आम आदमी नहीं कर सकता वह सारे अपराध पॉवर वाले लोग कर सकते हैं । मैं सोचती हूँ,
यह दुनिया ऐसी डबल मीनिंग और डबल स्टैण्डर्ड वाली क्यों है?
यस, मैं देखती हूँ कि मोरलिटी और जस्टिस जैसी बातों से बहुत ऊपर होता है पॉवर वाला आदमी । रामायण और महाभारत के हीरोज़ आज होते तो कैसे एडजेस्ट करते ये देखना मज़ेदार होता ।
अभी हमारे शहर में लॉक डाउन है, नॉट फ़ॉर लॉन्ग लाइक बिफ़ोर बट जस्ट फ़ॉर सेवेन डेज़ । नो वेज़ीटेबल्स, नो ब्रेड्स नो अदर कम्मोडिटीज़ । फ़्रूट्स वाले अंकल की दुकान भी बंद है, ही इज़ अ पुअर पर्सन । दुकान में रखे फ़्रूट्स ख़राब हो रहे हैं । सो ही ट्राइज़ टु सेल हिज़ रोटेन फ़्रूट्स ऑन हायर प्राइज़ । कलेक्टर ने कुछ लोगों को ऑन डिमाण्ड वेज़ीटेबल्स एण्ड फ़्रूट्स कस्टमर्स के घर-घर जाकर बेचने के लिये अथोराइज़ किया है । लोग बताते हैं कि उन्हें रोटेन वेज़ीटेबल्स एण्ड फ़्रूट्स मनमाने भाव पर क्राइसिस के नाम पर ऑन डिमाण्ड बेच दिये जाते हैं । ऑफ़ कोर्स, इट इज़ नॉट फेयर । इस समय तो शायद अन्य शहरों में भी ऐसा ही हो रहा होगा । मैं सोचती हूँ कि सेवेन डेज़ के लॉक-डाउन में टमाटर और केले जैसी क्रॉप्स तो सड़ जायेंगी जिससे किसान लोगों को मॉनीटरी बहुत लॉस होगा । इन अ डिसिप्लिण्ड वे फलों और सब्जियों की कुछ लिमिटेड शॉप्स तो खुलनी ही चाहिये । दीज़ आर वेरी इसेन्शियल थिंग्स टु सर्वाइव् । डॉक्टर अंकल कहते हैं कि कुपोषण रोकने के लिये फ़्रूट्स एण्ड वेज़ीटेबल्स खाना चाहिये । लॉक-डाउन में हम लोग कुछ तो कुपोषित हो ही जायेंगे, हू विल बी रिस्पॉन्सिबल फ़ॉर दैट? यहाँ भी डबल स्टैण्डर्ड ।