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Sunday, April 25, 2021

डबल स्टैण्डर्ड... -नन्हीं सी जान, जगदलपुर

         मम्मी-पापा के लिये मैं “नन्हीं” हूँ, नानी के लिये “नन्हीं सी जान”, डॉक्टर अंकल के लिये “चिन्नम्मा” हूँ और स्कूल की मैम के लिये प्राञ्जल मण्डावी । यूँ तो हर कोई मुझे बच्ची ही मानता है लेकिन मैं इतनी भी बच्ची नहीं हूँ कि दुनियादारी बिल्कुल भी ना समझ सकूँ ।

नन्हीं सी जान

“पॉवर” से मैंने सीखा इलेक्ट्रिक सप्लाई । फिर धीरे-धीरे पता लगा कि पॉवर मीन्स गुण्डागर्दी । जो पॉवर में होता है उसे कुछ भी करने का राइट होता है, मतलब जो आम आदमी नहीं कर सकता वह सारे अपराध पॉवर वाले लोग कर सकते हैं । मैं सोचती हूँ, यह दुनिया ऐसी डबल मीनिंग और डबल स्टैण्डर्ड वाली क्यों है?

यस, मैं देखती हूँ कि मोरलिटी और जस्टिस जैसी बातों से बहुत ऊपर होता है पॉवर वाला आदमी । रामायण और महाभारत के हीरोज़ आज होते तो कैसे एडजेस्ट करते ये देखना मज़ेदार होता ।

अभी हमारे शहर में लॉक डाउन है, नॉट फ़ॉर लॉन्ग लाइक बिफ़ोर बट जस्ट फ़ॉर सेवेन डेज़ । नो वेज़ीटेबल्स, नो ब्रेड्स नो अदर कम्मोडिटीज़ । फ़्रूट्स वाले अंकल की दुकान भी बंद है, ही इज़ अ पुअर पर्सन । दुकान में रखे फ़्रूट्स ख़राब हो रहे हैं । सो ही ट्राइज़ टु सेल हिज़ रोटेन फ़्रूट्स ऑन हायर प्राइज़ । कलेक्टर ने कुछ लोगों को ऑन डिमाण्ड वेज़ीटेबल्स एण्ड फ़्रूट्स कस्टमर्स के घर-घर जाकर बेचने के लिये अथोराइज़ किया है । लोग बताते हैं कि उन्हें रोटेन वेज़ीटेबल्स एण्ड फ़्रूट्स मनमाने भाव पर क्राइसिस के नाम पर ऑन डिमाण्ड बेच दिये जाते हैं । ऑफ़ कोर्स, इट इज़ नॉट फेयर । इस समय तो शायद अन्य शहरों में भी ऐसा ही हो रहा होगा । मैं सोचती हूँ कि सेवेन डेज़ के लॉक-डाउन में टमाटर और केले जैसी क्रॉप्स तो सड़ जायेंगी जिससे किसान लोगों को मॉनीटरी बहुत लॉस होगा । इन अ डिसिप्लिण्ड वे फलों और सब्जियों की कुछ लिमिटेड शॉप्स तो खुलनी ही चाहिये । दीज़ आर वेरी इसेन्शियल थिंग्स टु सर्वाइव् । डॉक्टर अंकल कहते हैं कि कुपोषण रोकने के लिये फ़्रूट्स एण्ड वेज़ीटेबल्स खाना चाहिये । लॉक-डाउन में हम लोग कुछ तो कुपोषित हो ही जायेंगे, हू विल बी रिस्पॉन्सिबल फ़ॉर दैट? यहाँ भी डबल स्टैण्डर्ड ।

मैं बहुत कुछ समझने लगी हूँ लेकिन यह नहीं समझ पा रही हूँ कि क्राइसिस के समय जब चीजों के भाव इतने हाई हो जाते हैं तो शेयर मार्केट का सेन्सेक्स धड़ाम क्यों हो जाता है

व्हेन आय कॉट बाय कोरोना वायरस... -अथर्व मण्डावी, जगदलपुर

         (यह कहानी है उस बच्चे की जिसे कोरोना संक्रमित पाये जाने पर एक सप्ताह से अधिक समय तक एक कमरे में बंद हो कर रहना पड़ा । ख़ास बात यह है कि जहाँ कोरोना को लेकर दुनिया भर में दहशत है वहीं एक कोरोना पॉज़िटिव बच्चे के अनुभव इतने बुरे भी नहीं हैं)

हाय गाइज़! यह मैं हूँ अथर्व, ये मेरा रूम है जहाँ मैं लास्ट वन वीक से बंद हूँ और यहाँ हमारी पॉरी हो री हे । आम स्टडींग इन सिक्स्थ क्लास इन संस्कार द स्मार्ट स्कूल । कुछ दिन पहले मुझे हलका सा फ़ीवर आया, मम्मी-पापा दोनों परेशान हो गये । वे दोनों डॉक्टर हैं इसी बात का फ़ायदा उठाते हुये उन्होंने मेरा टेस्ट करवाया । रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी तो मुझे ऊपर वाले कमरे में बंद कर दिया । घर के लोगों ने मेरे साथ कैदियों जैसा व्यवहार किया । मम्मी विण्डो से ही बात करके तुरंत लौट जाती थीं, जैसे कि मैं कोई चम्बल का ख़तरनाक डाकू हूँ । पापा फ़ोन से बात करते थे और दीदी कभी फ़ोन से तो कभी विण्डो के पास आकर । मुझे दोने और पत्तल में दूर से खाना दिया जाता, वो भी रूम में घुसे बिना दूर से ही फ़र्श पर रख कर । मम्मी के जाने के बाद ही मैं खाने को उठा सकता था । मम्मी ने मेरे रूम में एक डस्टबिन प्रोवाइड किया था, खाने के बाद दोना-पत्तल उठाकर उसी में डालने के लिये । 

डू यू इमेज़िन 10 अप्रैल से 17 अप्रैल तक बिना कोई अपराध किये मुझे कैदियों की तरह रहना पड़ा । मैंने खुली हवा को मिस किया, बाहर स्काय में फ़्लाइंग वर्ड्स को मिस किया । मेरा फ़ीवर तो ज़ल्दी ही ठीक हो गया लेकिन अगली रिपोर्ट आने तक मुझे सिंगल रूम की जेल में ही रहना था । यू नो ड्यूरिंग दिस पीरियड मैंने मम्मी को ख़ूब परेशान किया । मैं गूगल में नई-नई डिश की जानकारी लेता और मम्मी से फरमाइश कर देता । एण्ड यू नो दैट इट वाज़ अ वेरी वण्डरफ़ुल एक्स्पीरियंस ऑफ़ माइन । ज़ल्दी ही मैं एक रॉयल कैदी बन गया । मम्मी को मेरी हर डिमाण्ड पूरी करनी होती थी । मैंने नई-नई डिशेज़ को ख़ूब इंजॉय किया । थैंक्यू कोरोना वायरस । एण्ड नाउ आम ओके, बट सॉरी, मेरे जेल से बाहर आते ही मम्मी ने मेरी फ़रमाइशों को ताला लगा दिया और फिर से पहले की तरह बात-बात पर डाँटना शुरू कर दिया । सम टाइम्स आय फ़ील इससे तो अच्छी जेल ही थी । लेकिन एट द नेक्स्ट मोमेण्ट आय फ़ील मम्मी के साथ सोना बहुत अच्छा है । मुझे जेल में नींद नहीं आती थी । अब डाँट तो पड़ती है लेकिन मम्मी के साथ अच्छी नींद आती है और दीदी के साथ खेलने का मजा अलग । आय वांट टु टेल यू दैट डोण्ट बी अफ़्रेड ऑफ़ कोरोना बट बी अवेयर । थैंक्यू फ़्रेण्ड्स!