घर में, आँगन के फूलों सी खिलती हैं लड़कियाँ,
नसीब वालों के ही घर में पलती हैं लड़कियाँ ॥
ख़ुदा की भेजी पाक नेमत सी नज़र आती हैं,
घर के दालानों में जब टहलती हैं लड़कियाँ॥
हवा के झोंकों से झूमती कलियों सी नज़र आती हैं,
अपनी किसी ख़्वाहिश पर जब मचलती हैं लड़कियाँ॥
जब तक क़रीब हैं, रखो ख़ुशियों से सराबोर इन्हें,
जल्द ही नैहर के बाहर निकलती हैं लड़कियाँ॥
हर हाल में जी लेना इनकी फ़ितरत में है शामिल,
सुख-दुःख के साँचे में जल्द ही ढ़लती हैं लड़कियाँ॥
कदम इनके किसी इबादत से कमतर तो नहीं 'थोरात',
खिलखिलाती हैं जब-जब, लोबान सी महकती हैं लड़कियाँ॥
नज़ाकत को इनकी कमज़ोरी समझने वालो,
अपनी पे आ जायें तो अंगारों सी दहकती हैं लड़कियाँ॥
सरस्वती हैं, लक्ष्मी हैं, कल्याणी हैं मगर फिर भी
ज़मीं पे आने से पहले ही क़त्ल हो जाती हैं लड़कियाँ॥
बेहतरीन शानदार प्रस्तुति।
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घर में, आँगन के फूलों सी खिलती हैं लड़कियाँ,
नसीब वालों के ही घर में पलती हैं लड़कियाँ ॥
ख़ुदा की भेजी पाक नेमत सी नज़र आती हैं,
घर के दालानों में जब टहलती हैं लड़कियाँ॥
हवा के झोंकों से झूमती कलियों सी नज़र आती हैं,
अपनी किसी ख़्वाहिश पर जब मचलती हैं लड़कियाँ॥
जब तक क़रीब हैं, रखो ख़ुशियों से सराबोर इन्हें,
जल्द ही नैहर के बाहर निकलती हैं लड़कियाँ॥
हर हाल में जी लेना इनकी फ़ितरत में है शामिल,
सुख-दुःख के साँचे में जल्द ही ढ़लती हैं लड़कियाँ॥
कदम इनके किसी इबादत से कमतर तो नहीं 'थोरात',
खिलखिलाती हैं जब-जब, लोबान सी महकती हैं लड़कियाँ॥
नज़ाकत को इनकी कमज़ोरी समझने वालो,
अपनी पे आ जायें तो अंगारों सी दहकती हैं लड़कियाँ॥
सरस्वती हैं, लक्ष्मी हैं, कल्याणी हैं मगर फिर भी
ज़मीं पे आने से पहले ही क़त्ल हो जाती हैं लड़कियाँ॥
आदरणीय कौशलेन्द्र जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत भावपूर्ण सुंदर रचना है
जयंत कुमार थोरात जी तक इस सुंदर रचना के लिए बधाई पहुंचाने की कृपा करें !
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार